शाहजहांपुर : बारिश का मौसम और बाढ़ के कारण सांप के काटने की घटनाओं में इजाफा हो जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व भर में 1 साल में 1 लाख 38 हजार से ज्यादा लोग सांप के काटने से जान गवां देते हैं, जबकि से लगभग 4 लाख लोग सर्पदंश के कारण अपने अंग खो देते हैं या फिर अंग निष्क्रिय हो जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि सांप काटने के तुरंत बाद झाड़- फूंक के चक्कर में ना पड़े और तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेकर इलाज कराएं.
मिशन स्नेक डेथ फ्री इंडिया के कोऑर्डिनेटर डॉ. आशीष त्रिपाठी ने बताया कि बरसात के मौसम में खेत किनारे बने हुए घरों में सांप घुसने की घटना ही ज्यादा सामने आती हैं. कई बार खेतों में काम करने वाले किसान और मजदूर भी सर्पदंश का शिकार हो जाते हैं. भारत में जहरीले सांपों की बात की जाए तो करैत, कोबरा, रसेल वाइपर और सा स्केल वाइपर बेहद जहरीले होते हैं. जिनके डसने से इंसान की मौत तक हो जाती है. अकेले उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यहां हर साल करीब 16 हजार लोग सांप के काटने से अपनी जान गवा देते हैं. सांप के डसने से होने वाली मौत पर उत्तर प्रदेश सरकार राज्य आपदा के तहत 4 लाख रुपए की सहायता भी देती है.
झाड़ फूंक के चक्कर पड़ेगा भारी
डॉ. आशीष त्रिपाठी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह सांप के डसने के बाद अंधविश्वास में ना पड़े और झाड़ फूंक करवाने के चक्कर में कीमती समय ना गवाएं. अगर सांप डसने की कोई भी घटना होती है तो बिना वक्त गंवाए सरकारी अस्पताल पहुंचे, यहां जहरीले सांपों के काटने का इलाज संभव है. हर सरकारी अस्पताल में एंटी वेनम नाम की दवा मौजूद रहती है जो कि सांप के डसने के बाद मरीज को बचाने में बेहद ही कारगर है. आशीष त्रिपाठी ने बताया कि अगर मरीज को समय पर इलाज न मिले तो मरीज की जान भी जा सकती है.
डसने के बाद फोटो खींच लें
डॉ. आशीष त्रिपाठी ने बताया कि अगर कोई भी व्यक्ति सांप काटने की घटना का शिकार होता है, इस दौरान अगर संभव हो तो उस सांप का फोटो खींच लें ताकि इलाज करने वाले डॉक्टर आसानी से समझ सकें कि कौन से सांप ने डसा है.
सरकारी अस्पताल में इलाज संभव
मेडीकल कॉलेज में तैनात जूनियर अस्सिटेंट डॉ नीरज दीक्षित ने कहा कि अगर सांप डसने की घटना होती है तो जिस स्थान पर सांप ने काटा हो, उसको कपड़े से बांध दें. इतना टाइट बाधें कि उसमें एक उंगली तक चली जाए. उसके बाद तत्काल मरीज को लेकर सरकारी अस्पताल पहुंचे, यहां मरीज को बेहतर इलाज दिया जाएगा. समय पर इलाज मिलने से मरीज की जान बचने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं.
क्या सावधानी बरतें?
डॉ. नीरज दीक्षित ने अपील की है कि अगर बरसात के दिनों में आप झाड़ियों या फिर जंगल की ओर जाते हैं तो पूरे कपड़े और जूते पहन कर ही जाएं, कभी भी नंगे पैर झाड़ियां या फिर जंगलों में न जाए. घबराएं नही शांत रहें. घबराने से हृदय गति बढ़ सकती है, जिससे जहर तेजी से फैल सकता है. किसी भी कसने वाली वस्तु को शरीर से अलग कर दें. तंग कपड़ों, गहनों या घड़ियों को ढीला कर दें या हटा दें जो प्रभावित क्षेत्र को कस सकते हैं. प्रभावित अंग को हृदय के स्तर से नीचे रखें. यह रक्तप्रवाह के माध्यम से जहर के प्रवाह को कम करने में मदद कर सकता है.
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FIRST PUBLISHED : July 11, 2024, 16:22 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें