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विडंबना! डॉक्टर्स की लापरवाही से ICU पहुंच जाते हैं 30% मरीज, स्टडी में खुलासा

Diagnostic Errors Study News: जब भी किसी व्यक्ति की तबीयत खराब होती है, तो वह अस्पताल में डॉक्टर के पास जाता है. डॉक्टर कई टेस्ट करते हैं और इसके बाद उसकी बीमारी का पता लगाते हैं. जब बीमारी का पता लग जाता है यानी डायग्नोस हो जाती है, तब उसका ट्रीटमेंट शुरू किया जाता है. यह एक नॉर्मल प्रोसेस है, जो अधिकतर मामलों में फॉलो की जाती है. हालांकि एक हालिया स्टडी में खुलासा हुआ है कि अस्पताल में करीब 7 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों की बीमारी का पता डॉक्टर सही तरीके से लगा ही नहीं पाते हैं, जिसके कारण उन्हें गलत ट्रीटमेंट मिल जाता है. इससे उनकी कंडीशन बिगड़ जाती है, तो डॉक्टर उन्हें आईसीयू (ICU) में भर्ती करा देते हैं.

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल क्वालिटी एंड सेफ्टी (BMJ) में पब्लिश हुई रिसर्च में पता चला है कि दुनियाभर के अस्पतालों में हर 14 में से एक मरीज की बीमारी गलत डायग्नोज होती है. आसान भाषा में कहें, तो बीमारी कुछ और होती है, लेकिन इलाज किसी अन्य बीमारी का कर दिया जाता है. रिसर्च में कहा गया है कि इनमें से 85% गलतियों को रोका जा सकता है. आमतौर पर जो बीमारियां गलत डायग्नोज होती हैं, उनमें हार्ट फेलियर, एक्यूट किडनी फेलियर, सेप्सिस, निमोनिया, सांसें रुकना, मेंटल स्टेट में बदलाव, पेट में दर्द और हाइपोक्सिमिया शामिल हैं. ये सभी गंभीर बीमारियां हैं, जिनमें मौत हो सकती है.

रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों की मानें तो गलत डायग्नोसिस की हाई रिस्क कैटेगरी में उन मरीजों को रखा गया था, जिनमें भर्ती होने के 24 घंटे या उससे ज्यादा समय बीतने के बाद मरीज को इंटेसिव केयर यूनिट यानी आईसीयू में ले जाने की नौबत आ गई. इसके अलावा भर्ती होने के 90 दिन के भीतर अस्पताल में या छुट्टी के बाद मरीज की मौत होने या जटिल क्लीनिकल मामले वाले केसेस को भी इस कैटेगरी में शामिल किया गया है. वैज्ञानिकों ने रिसर्च में 154 मरीजों के के केसेज का एनालिसिस किया था, जिन्हें गलत बीमारी डायग्नोज की गई थी.

रिसर्च में पता चला है कि जिन 154 मरीजों में गलत बीमारी बताई गई, उनके 24 घंटे बीत जाने के बाद आईसीयू में शिफ्ट होने की संख्या 54 थी. आसान भाषा में समझें, तो जिन मरीजों को गलत बीमारी बता दी गई, उनमें से 30% से ज्यादा मरीजों को एक दिन के अंदर ही आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा, क्योंकि उनकी तबीयत बिगड़ने लगी थी. इसके अलावा 90 दिनों के भीतर करीब 34 मरीजों यानी 20% मरीजों की मौत हो गई. वहीं कॉम्प्लिकेशंस वाले मरीजों की संख्या 52 थी. कम जोखिम वाले मरीजों में डायग्नोसिस में गलती की संख्‍या 20 पाई गई. यह आंकड़े बताते हैं कि डायग्नोसिस में गलती कितनी खतरनाक है.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में करीब 10 प्रतिशत लोगों को सही हेल्थ केयर नहीं मिल पाती है और इस वजह से हर साल करीब 30 लाख लोगों की मौत हो जाती है. ऐसे मामले कम और मिडिल इनकम वाले देशों में सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं. सिर्फ गलत डायग्नोसिस ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों को गलत ट्रीटमेंट मिल जाता है और दवाएं भी सही नहीं मिल पाती हैं. यह एक वैश्विक समस्या है, जिसकी वजह से लाखों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. इससे बचने के लिए किसी भी बीमारी का सटीक पता लगाना (Diagnosis) बेहद जरूरी है.

यह भी पढ़ें- महिलाओं में कितना हीमोग्लोबिन होना चाहिए? कब पैदा हो जाती है एनीमिया की कंडीशन, डॉक्टर से समझें

Tags: Health, Lifestyle, Trending news

FIRST PUBLISHED : October 3, 2024, 13:24 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें

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