Rain According Astrology: पिछले कुछ दिनोंं से अचानक चिपचिपाती गर्मी तेज हो गई है. लेकिन ज्योतिष की मानें तो नक्षत्र कुछ और ही इशारा कर रहे हैं. ज्योतिष में वर्षा के आधार जलस्तंभ के रूप में बताया गया है, इसलिए वर्षा को आकृष्ट करने के लिए यज्ञ बहुत महत्वपूर्ण कहा गया है. ‘अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्न संभव’ वस्तुतः वायु तथा बादलों का परस्पर संबंध होता है. आकाश मंडल में बादलों को हवा ही संचालित करती है वही उनको संभाले रखती है इसलिए वायुमंडल का वर्षा एवं स्थान विशेष में वर्षा करने में महत्वपूर्ण योगदान होता है. 27 सितंबर से भारी बारिश के योग बन रहे हैं.
वैदिक ज्योतिष में पंचांग के माध्यम से वर्षा का योग पता लगाया जा सकता है. सितंबर की शुरुआत से ही काफी अच्छी बारिश से हुई है. गर्मी से भी राहत मिली है शहरी जनजीवन अस्त व्यस्त रहा है, किसानों को इस बारिश का लाभ मिला.ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 13 सितंबर से अच्छी वर्षा के योग है और उसके बाद 27 से हस्त नक्षत्र लगेगा इसे हथिया भी कहते हैं. इस नक्षत्र में भारी बारिश की संभावना होती है.
तूफानी वायु, जंगलों एवं अन्य स्थानों में लगे हुए वृक्ष मकानों तथा पर्वत की शीला खंडों को उखाड़ फेंकने में समर्थ होते हैं लेकिन जब आर्द्रा, आश्लेषा, उत्तरा भाद्र पद, पुष्य, शतभिषा, पूर्वाषाणा एवं मूल नक्षत्र वरुण अर्थात् जल मंडल के नक्षत्र कहे जाते हैं. इनसे विशेष ग्रहों का योग बनने पर वर्षा होती है. साथ ही रोहिणी नक्षत्र का वास यदि समुद्र में हो तो घनघोर वर्षा का योग बनता है.साथ ही रोहिणी का वास समुद्र तट पर होने पर भी वर्षा खूब होती है.इसलिए वर्षा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में वायुमंडल का विचार किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार पूर्व तथा उत्तर की वायु चले तो वर्षा शीघ्र होती है. वायव्य दिशा की वायु के कारण तूफानी वर्षा होती है. ईशानकोण की चलने वाली वायु वर्षा के साथ-साथ मानव हृदय को प्रसन्न करती है. श्रावण में पूर्व दिशा की और भादों में उत्तर दिशा की वायु अधिक वर्षा का योग बनाती है. शेष महीनों में पश्चिमी वायु (पछवा) वर्षा की दृष्टि से अच्छी मानी जाती है.
ये नक्षत्र भी कराते हैं बारिश : वर्षा को जानने के लिए ज्योतिष विज्ञानियों ने नक्षत्रों पर विशेष विचार किया है जैसे आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा आदि. सूर्य और गुरु एक राशि में हों तथा गुरु और बुध भी एक राशि में हों वर्षा तब तक जारी रहती है जब तक बुध या गुरु में से कोई एक अस्त न हो.
इन संयोग में होती है भारी बारिश : इसी प्रकार ग्रहों का भी वर्षा के योग में महत्वपूर्ण प्रभाव रहता है. बुध और शुक्र एक राशि में होने पर तथा उस पर बृहस्पति की दृष्टि पड़े तो अच्छी वर्षा होती है, लेकिन वहां शनि और मंगल जैसे क्रूर और उग्र ग्रह की दृष्टि नहीं पड़नी चाहिए. गोचर में बुध-गुरु एक राशि में होने पर तथा शुक्र की दृष्टि पड़ने पर अच्छी वर्षा का योग बनता है. गुरु और शुक्र एक राशि में पड़ने पर तथा उस पर बुध की दृष्टि हो तो क्रूर ग्रहों की दृष्टि पड़ने पर भी अति वृष्टि का योग बनता है जिससे भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति बनती है. ‘जीव शुक्रौ यदा युक्तौ क्रूरेणापि विलोकितौ, बुध दृष्टौ महावृष्टि कुरुतः जलयोगतः’ वस्तुतः इन ग्रहों से पानी का आकर्षण होता है.यदि गोचर में बुध, गुरु एवं शुक्र तीनों एक ही राशि में हों साथ ही क्रूर ग्रहों की इन पर दृष्टि न पड़े तो भारी बारिस का योग बनता है. इसी प्रकार शुक्र के साथ शनि और मंगल एक राशि में आ जाए तथा वहां गुरु की दृष्टि पड़े तो घनघोर वर्षा होती है. गोचर में ही शुक्र का चंद्रमा के साथ एक राशि में संबंध होने पर या मंगल का चंद्रमा के साथ एक राशि में स्थित होने पर या दोनों ही चंद्र राशि में आएं तो अति वृष्टि का योग बनता है.
अभी और हो सकती है बारिश:
पंचांग अनुसार 27 सितंबर को हस्त नक्षत्र के लगने पर अश्विन माह के अंतिम सप्ताह में लगातार अच्छी बारिश के आसार हैं. हस्त को आम बोलचाल की भाषा में हथिया भी कहा जाता है. किसानों को भी इस नक्षत्र का बेसब्री से इंतजार रहता है. इस नक्षत्र के जल को फसलों के लिए अच्छा माना गया है, हथिया में झमाझम बारिश के साथ हल्की ठंड की शुरुआत भी होने लगती है. इससे पहले 13 सितंबर से उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के लगने पर भी अच्छी वर्षा के योग है।
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FIRST PUBLISHED : September 23, 2024, 15:32 IST News18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें