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परिवर्तिनी एकादशी पर 3 शुभ योग, जानें मुहूर्त, पूजा विधि, पारण, महत्व

इस साल की परिवर्तिनी एकादशी भाद्रपद शुक्ल एकादशी तिथि को है. उस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन देव की पूजा करने का विधान है. जो लोग विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं, उनको हजारों अश्वमेध यज्ञ कराने के समान पुण्य मिलता है. मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस साल परिवर्तिनी एकादशी के दिन 3 शुभ योग भी बन रहे हैं. विष्णु पूजा के समय रवि योग और शोभन योग रहेगा. उस दिन उत्तराषाढा और श्रवण नक्षत्र भी होंगे. ​तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि परिवर्तिनी एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? व्रत का पारण कब किया जाएगा?

14 सितंबर को है परिवर्तिनी एकादशी 2024
इस बार की परिवर्तिनी एकादशी 14 सितंबर दिन शनिवार को पड़ रहा है. इसके लिए जरूरी भाद्रपद शुक्ल एकादशी तिथि 13 सितंबर को रात 10:30 बजे से 14 सितंबर को रात 8:41 बजे तक रहेगी.

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परिवर्तिनी एकादशी पर बनेंगे 3 शुभ योग
रवि योग: सुबह 6 बजकर 6 मिनट से रात 8 बजकर 32 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: रात 8 बजकर 32 मिनट से 15 सितंबर को सुबह 6 बजकर 6 मिनट तक
शोभन योग: प्रात:काल से लेकर शाम 6 बजकर 18 मिनट तक
उत्तराषाढा नक्षत्र: प्रात:काल से लेकर रात 8 बजकर 32 मिनट तक
श्रवण नक्षत्र: रात 8 बजकर 32 मिनट से 15 सितंबर को शाम 6 बजकर 49 मिनट तक.

परिवर्तिनी एकादशी की पूजा का मुहूर्त
14 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी की पूजा का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 6 मिनट से है. रवि और शोभन योग में आपको भगवान वामन की पूजा कर लेनी चाहिए. व्रत के दिन राहुकाल सुबह 09:11 बजे से 10:44 बजे तक है. इस समय में पूजा वर्जित है. इस दिन पाताल की भद्रा सुबह 09:41 बजे से रात 08:41 बजे तक है.

परिवर्तिनी एकादशी 2024 पूजा विधि
सबसे पहले सुबह में स्नान आदि करके सूर्य देव को जल चढ़ाएं. फिर हाथ में जल और पुष्प लेकर परिवर्तिनी एकादशी व्रत और पूजा का संकल्प करें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान वामन या फिर श्रीहरि विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें. उनको गंगाजल, पंचामृत आदि से स्नान कराएं.

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फिर फूल, माला, चंदन, पीले वस्त्र, यज्ञोपवीत आदि से उनका श्रृंगार करें. उसके बाद पीले फूल, हल्दी, अक्षत्, रोली, तुलसी के पत्ते, गुड़, फल, नैवेद्य आदि अर्पित करके पूजा करें. फिर परिवर्तिनी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें. इसमें आपको भगवान वामन के अवतार की कथा पढ़नी है, जिसमें वे दैत्यराज बलि की परीक्षा लेते हैं. पूजा का समापन आरती से करें. रात्रि के समय में जागरण करें. अगले दिन सुबह में उठकर स्नान, दान करें. फिर पारण करके व्रत को पूरा करें.

परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पारण कब करें?
जो लोग परिवर्तिनी एकादशी व्रत रखेंगे, वे पारण 15 सितंबर रविवार को सुबह में 6 बजकर 6 मिनट से सुबह 8 बजकर 34 मिनट के बीच कभी भी कर सकते हैं. हरिवासर के समापन के बाद ही पारण करना चाहिए.

Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu, Religion

FIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 08:42 IST News18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें

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