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Saina Nehwal: मोदी सरकार आने के बाद कैसे भारतीय खेलों की हुई तरक्की, ओलंपिक मेडलिस्ट साइना नेहवाल ने समझाया

How Indian Games Improved After Modi Government: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के खाते में 6 मेडल आए, जबकि कई भारतीय एथलीट्स सिर्फ एक पयदान से मेडल लाने से चूक गए. तमाम भारतीय खिलाड़ियों ने अलग-अलग खेलों में चौथे पायदान पर फिनिश किया और वह मेडल तक नहीं पहुंच सके. भले ही भारत के खाते में सिर्फ 6 मेडल आए, लेकिन इस बार भारतीय एथलीट्स के प्रदर्शन में बेहतरी देखने को मिली. अब 2012 में ओलंपिक मेडल जीतने वाली साइना नेहवाल (Saina Nehwal) ने भी बताया कि कैसे मोदी सरकार (Modi Government) आने के बाद भारतीय खेलों में तरक्की हुई. 

पत्रकार सुशांत सिन्हा के साथ पोडकास्ट पर बातचीत करते हुए बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल ने 2014 के बाद भारतीय खेलों में हुई तरक्की को लेकर बात की. उन्होंने बताया कि कैसे मोदी सरकार आने के बाद भारतीय खिलाड़ियों को ज़्यादा सुविधाएं मिलीं, जिससे उनकी काफी मदद हुई. 

साइना नेहवाल ने कहा, “चीज़ें 2014 के बाद हुई हैं. स्कीम आना. टॉप स्कीम जैसे खेलो इंडिया. अब देखें ओलंपिक में एक प्लेयर के लिए कितने कोच गए हैं. पहले तो एक ही कोच की अनुमति होती थी. 2014-15 के बाद हुआ कि अब 3-3 कोच आपके साथ जा रहे हैं. आपके साथ 2 फिजियो, 1 मेंटल हेल्थ कोच…सब आपके साथ हैं. क्योंकि उन्होंने सोचा होगा कि हमारा स्पोर्ट्स कुछ कर सकता है, हमारे लिए और मेडल ला सकते हैं, इसलिए पुश कर रहे हैं.”

आगे साइना नेहवाल ने बताया कि जब 2012 के ओलंपिक में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता था, तब सिर्फ एक कोच और फिजियो होता था. उन्होंने कहा, “एक टाइम एक कोच, एक फिजियो रूल था. अभी मैं चौंक गई हूं, जैसा इंडियन बैडमिंटन के लिए देखा 2 फिजियो हैं, सिंधु की एक फिजियो, हमारी टीम की एक फिजियो, फिर ट्रेनर्स और आपके साथ बेस्ट डॉक्टर दिंशा परदीवाला गए हुए हैं, हमारे देश के बेस्ट डॉक्टर हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “सोचिए ये सब चीज़ें जो इंप्रूवमेंट है, 2008 या 2012 में होता तो मुझे ट्रेनर भी मिल जाते. आप सेमीफाइनल तक 7 राउंड खेल रहे हैं, आपने उससे पहले वर्ल्ड नंबर 2 बनकर दिखाया है. इतने चैंपियनशिप जीते हैं. ओलंपिक खेलना आसान है क्या? आप इतना दवाब झेलते हैं. रात में नींद नहीं आती है. आपको कल किसके साथ खेलना है.”

इसके आगे भारतीय बैडमिंटन स्टार ने कहा कि अभी जो मिल रहा है, तो आपको इंजरी से लेकर कई चीज़ों की टेंशन नहीं होती. क्योंकि तब एक फिजियो पूरी टीम के लिए था. 

फिर आगे सिंधु ने बताया कि 2008 में कोई फिजियो या ट्रेनर नहीं थे, सिर्फ कोच थे. फिर 2012 तक बदलाव हुआ, 1 फिजियो और 1 कोच. उससे पहले हमें ये तक नहीं पता था कि फिजियो और ट्रेनर इतने अहम होते हैं. ये बाद में पता लगा कि फिजियो, ट्रेनर और डॉक्टर आपको इंजरी से बचाएंगे.”

फिर साइना ने बताया, “जब हमारे पास कुछ नहीं होता था, तब दूसरे देशों के खिलाड़ियों के पास सारी सुविधाएं होती थीं. तब मुझे नहीं पता था कि यह चीजे़ं अहम होती हैं. तब सिर्फ एक ही बात पता था कि जीतना है. कोच और मां ने बोला था कि बस जीतकर आना है. मुझे नहीं पता था कि इसके पीछे एक साइंस है, मुझे नहीं पता था कि आपको एनालिस्ट भी चाहिए.”

आगे साइना से पूछा गया कि आप उस वक़्त 18 साल की थीं लेकिन सरकार को तो जानकारी थी क्या-क्या देना चाहिए. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “बीजेपी के आने के बाद ही हमारे पास विदेशी कोच आए हैं. हालांकि वह पिछली सरकार से शुरू हो गए थे. अब आपको किसी भी चीज़ पर अपनी जेब से पैसा नहीं लगाना है, लेकिन पहले ऐसा था. मैंने एक विदेशी फिजियो को रखने का ट्राई किया, तो उनका चार्ज 8-9 लाख रुपये था.”

 

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