जयपुर. जमीन पर पाए जाने वाले कुछ पौधे इंसान और जानवर दोनों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. ऐसा ही एक पौधा है ग्वार जिसे किसान खेत में फसल के रूप में उगाते हैं. इससे किसान के खेत की उर्वरक शक्ति बढ़ती है क्योंकि इस पौधे में मिट्टी को उपजाऊ बनाने के पोषक तत्व पाए जाते हैं. यह पौधा पशुओं के चारे, सब्जी हरी, खाद के लिए उपयोगी पौधा माना जाता है. ग्वार एक दलहनी फसल होती है. इसकी जड़ों में जड़ ग्रंथियां होती है. ग्वार (क्लस्टर बीन) की खेती मुख्य रूप से सूखे और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में की जाती है. इसकी खेती से न केवल सब्जी और पशु चारा प्राप्त होता है, बल्कि इसके बीजों से ‘ग्वार गम’ भी बनाया जाता है, जिसका उपयोग कई उद्योगों में होता है.
ग्वार की खेती के लिए शुष्क या अर्ध-शुष्क जलवायु अनुकूल होती है. इसकी फसल हल्की दोमट मिट्टी में अच्छे से उगती है, जहां पानी का निकास अच्छा हो. इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8.5 के बीच की उपयुक्त माना जाता है. राजस्थान में ग्वार की बुवाई मुख्य रूप से मानसून की शुरुआत में होती है, यानी जून से जुलाई के बीच इसकी बुवाई की जाती है. गर्मियों में भी बुवाई की जा सकती है, लेकिन अच्छी वर्षा या सिंचाई की सुविधा होनी चाहिए. ग्वार की फसल लगाने के लिए सबसे पहले इसके बीजों को अच्छे से साफ किया जाता है. इसकी खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 15-20 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. इसके बीजों को 30-45 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियों में लगाया जाता है. इसके पौधों के बीच की दूरी 10-15 सेंटीमीटर होती है. इसके अलावा बुवाई की गहराई 3-4 सेंटीमीटर रखनी चाहिए.
ग्वार कम पानी की फसल है, लेकिन अच्छे उत्पादन के लिए बुवाई के बाद और फूल आने के समय 1-2 हल्की सिंचाई आवश्यक होती है. इसके अलावा ग्वार की खेती में अधिक उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होती. जैविक खाद या कम्पोस्ट का प्रयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए किया जा सकता है. ग्वार को प्रमुख रूप से कीड़े जैसे सफेद मक्खी, पत्ती लपेटक और तना छेदक से बचाना होता है. कीटनाशक का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए.
ग्वार खाने के फायदे
आयुर्वेदिक डॉक्टर किशन लाल ने लोकल 18 को कि ग्वार की फली में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें फाइबर, पोटेशियम, और फोलेट जो दिल को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं. ग्वार फली में मौजूद आयरन, रेड ब्लड सेल्स बनाने में मदद करता है और शरीर में खून की कमी को दूर करता है. ग्वार फली में मौजूद कैल्शियम और विटामिन-के हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होता हैं. इसके अलावा इसकी फली में मौजूद फाइबर ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है. ग्वार फली में मौजूद फाइटोकेमिकल्स ब्लड में ऑक्सीजन की क्षमता बढ़ाते हैं, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. इसमें मौजूद में मौजूद फाइबर वजन को नियंत्रित करता है. वजन को नियंत्रित करने के लिए ग्वार सबसे उपयोगी फसल है.
प्रसिद्ध है राजस्थानी काचरी और ग्वार की फली की सब्जी
आपको बता दें कि राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में कचरी और ग्वार की फली की सब्जी बहुत पसंद की जाती है. बड़े-बड़े होटलों में राजस्थान घूमने आने वाले विदेशी पर्यटक भी इस सब्जी को खाकर इसके दीवाने हो जाते हैं. यह सब्जी मुख्य रूप से केवल राजस्थान में ही मिलती है. इसके अलावा ग्वार को सुखाकर भी रखा जाता है जिसके बाद 12 महीने तक इसकी सब्जी बनाई जा सकती है.
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FIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 18:03 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.