खंडवा: मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग के कारण 6 से 10 साल के बच्चों में चश्मे लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. आंखों में दर्द, लालपन, धुंधलापन जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं, जो आंखों की कमजोरी का संकेत हैं. ऐसी स्थिति में माता-पिता को अपने बच्चों की आंखों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है. यहां सवाल उठता है कि बच्चों की आंखों की देखभाल कैसे करें और कौन-से कारण हैं जिनसे उनकी आंखें प्रभावित हो रही हैं? साथ ही, इससे बचाव के उपाय क्या हैं?
मोबाइल उपयोग के बढ़ते प्रभाव पर डॉक्टर का दृष्टिकोण
लोकल 18 से बातचीत में डॉक्टर सोमिल जैन ने बताया कि कोरोना के बाद मोबाइल की गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं और छोटे-छोटे बच्चे मोबाइल का अधिक उपयोग कर रहे हैं, जिससे उनकी आंखों की दूर दृष्टि विकसित नहीं हो पा रही है. इस कारण, अब अधिक बच्चों को माइनस नंबर के चश्मे लगने लगे हैं. लगभग 15 से 20% बच्चों को चश्मा लगाना पड़ा है. इसके साथ ही, स्कूलों में आईपैड और टैबलेट के उपयोग से भी स्क्रीन टाइम बढ़ गया है, जिससे आंखों में लालपन, ड्राईनेस, और ब्लू लाइट की वजह से आंखों की समस्याएं हो रही हैं. इसका असर उनकी नींद पर भी पड़ रहा है और दूर दृष्टि का विकास रुक रहा है.
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आंखों की समस्याओं के अन्य कारण और बचाव के उपाय
ऑप्टोमेट्री हरिओम पटेल का कहना है कि बच्चों की आंखों की कमजोरी के कई कारण हो सकते हैं. स्कूलों में प्रोजेक्टर और टैबलेट का उपयोग, लंबे समय तक ऑनलाइन पढ़ाई, और मोबाइल की ब्लू लाइट से निकलने वाली किरणें बच्चों की आंखों को नुकसान पहुंचा रही हैं. इसके साथ ही, जेनेटिक कारण भी हो सकते हैं. माता-पिता को हर 6 महीने में बच्चों की आंखों की जांच अवश्य करवानी चाहिए. बच्चों को बाहरी गतिविधियों में शामिल करना और मोबाइल का उपयोग सीमित करना आवश्यक है.
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FIRST PUBLISHED : October 11, 2024, 13:53 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.