29 C
Mumbai
October 18, 2024
Nyaaya News
Filter by Categories
Astro
Business
Crime
Earn Money
Editor's Picks
Education and Career
Entrainment
Epaper
Fashion
Fitness
Football
India
International
Life Style
Politics
Sport
Stars
Tech
Travel
Uncategorized
Viral
Image default
Fitness

97 साल की उम्र में महिला के बदल दिए घुटने, डॉक्‍टर हैं या….मरीज बोली…

97 साल की उम्र ऐसी होती है जब पैर कब्र में लटके होते हैं. बुजुर्गों पर न चला-फिरा जाता है और न ही उनके आगे जीने का कोई भरोसा होता है. इस उम्र में उन्‍हें दवाएं खिला पाना ही काफी मुश्किल होता है, सर्जरी की तो बात ही क्‍या है लेकिन दिल्‍ली वसंत कुंज स्थित फॉर्ट‍िस अस्‍पताल के डॉक्‍टरों ने 97 साल की उम्र में महिला के घुटनों की रिप्‍लेसमेंट सर्जरी करके करिश्‍मा कर दिया है. इसके साथ ही घुटने बदलवाने वाली ये महिला सबसे ज्‍यादा उम्र की भारतीय बन गई हैं.

बता दें कि गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस से जूझ रही 97 वर्षीय मरीज रेशम देवी पिछले 30 वर्षों से वृंदावन के एक आश्रम में स्वतंत्र रूप से रह रही थीं. पिछले साल वह गिर गईं जिसकी वजह से उनके बाएं कूल्हे में फ्रैक्चर और हड्डी खिसकने की समस्‍या हो गई. शुरू में उनकी कमजोर सेहत को देखते हुए उनका सामान्‍य उपचार किया गया, लेकिन कूल्हे में लचीलेपन की कमी और दोनों घुटनों में एडवांस्‍ड ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण उन्हें चलने-फिरने में गंभीर दिक्‍कत हो गई. लिहाजा डॉक्‍टरों की सलाह पर रेशम देवी ने दोनों घुटनों की रिप्‍लेसमेंट कराने का फैसला किया.

ये भी पढ़ें

फॉर्टिस अस्‍पताल ने 97 साल की उम्र की मरीज का सफल नी रिप्‍लेसमेंट किया है.

अस्‍पताल में भर्ती होने के समय महिला का चलना-फिरना काफी मुश्किल था. इस दौरान दोनों घुटनों और बाएं कूल्हे में गंभीर दर्द की शिकायत थी. छह महीने से ज्‍यादा समय तक उन्‍होंने फिजियोथेरेपी कराई और सर्जरी से पहले की तैयारी की, जिसमें उनकी हड्डियों को मजबूत करने के लिए टेरीपैराटाइड, कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट के इंजेक्शन तक दिए गए थे. इसके बावजूद उन्‍हें रोजमर्रा के कामकाज में दिक्कत आ रही थी और वह दूसरों पर निर्भर थीं.

उनकी उम्र और बीमारी की जटिलता को देखते हुए फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज के ऑर्थोपेडिक, रिप्लेसमेंट और रिकंस्ट्रक्शन के डायरेक्‍टर डॉ. धनंजय गुप्ता और उनकी टीम ने शुरू में एक घुटने को रिप्‍लेस कराने की सलाह दी और तीन महीने बाद दूसरे घुटने की रिप्‍लेसमेंट का विकल्प सुझाया लेकिन महिला ने दोनों घुटनों की रिप्‍लेसमेंट सर्जरी एक साथ कराने की इच्छा जताई. ब्‍लड, लिवर, किडनी और हार्ट की जांच व एनेस्थीसिया के लिए जांच के बाद उनके दोनों घुटनों की एक साथ सर्जरी की गई. पहले बाएं घुटने और फिर दाएं घुटने की रिप्‍लेसमेंट सर्जरी करने के बाद उन्‍हें रात भर आईसीयू में रखा गया. अगले दिन, वह वॉकर के सहारे चलने-फिरने के लिए तैयार थीं जो उनकी सफल सर्जरी का संकेत था.

इस बारे में डॉ. धनंजय गुप्‍ता ने कहा, यह काफी चुनौतीपूर्ण केस था. क्योंकि मरीज की उम्र काफी ज्‍यादा थी. अगर इस सर्जरी में देर होती, तो उन्‍हें गंभीर रूप से सीमित मोबिलिटी की समस्या बनी रहती. बुजुर्ग मरीजों में चलने-फिरने की समस्‍या चिंता, अवसाद और स्वास्थ्य में सामान्य गिरावट के बढ़ते जोखिम से काफी हद तक जुड़ी हुई है. शारीरिक गतिशीलता बुजुर्गों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हड्डियों और मांसपेशियों के साथ-साथ हृदय और श्वसन तंत्र के स्वास्थ्य को भी बनाए रखने में मदद करती है. वहीं डॉ. गुरविंदर कौर, फैसिलिटी डायरेक्‍टर, फोर्टिस ने कहा कि रेशम देवी की कहानी प्रेरणादायी है, जो बताती है कि इलाज पाने में उम्र बाधा नहीं बननी चाहिए.

ये भी पढ़ें

करवा चौथ: सरगी में लें ये 3 चीजें, दिन भर नहीं लगेगी प्‍यास, रहेंगी हाइड्रेट, बता रहे हैं डॉ. कालरा

Tags: Delhi news, Health News, Trending news

FIRST PUBLISHED : October 18, 2024, 16:53 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें

Related posts

वजन घटाना है, तो करो रसोई में रखे इस हरे रंग के दाने का इस्तेमाल!

nyaayaadmin

पहाड़ी तोरई के पत्तों का ऐसे करें इस्तेमाल, पीलिया से मिलेगी राहत!

nyaayaadmin

किन वजहों से बढ़ता है यूरिक एसिड? जान लेंगे असली वजह, तो कभी नहीं बनेंगे मरीज,

nyaayaadmin