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साल 1991 में फिल्म ‘दिल है कि मानता नहीं’ रिलीज हुई थी. ये फिल्म उस साल की सबसे रोमांटिक फिल्मों में से एक थी. महेश भट्ट द्वारा निर्मित ये मूवी कई महीनों तक सिनेमाघरों में टंगी रही थी. फिल्म ने आमिर खान और पूजा भट्ट के करियर को इंडस्ट्री में एक नई रफ्तार दी और दोनों को ऑडियंस के बीच जबरदस्त पहचान दिलाई.
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फिल्म के डायरेक्टर महेश भट्ट ने रेडियो नशा से बातचीत करते हुए बताया कि फिल्म में आमिर खान की टोपी कैसी दिखनी चाहिए इसको लेकर काफी डिस्कशन हुआ था. एक्टर ने 10 घंटे तक सिर्फ ये ही विचार किया कि उन्हें कैसी टोपी पहननी है.
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10 घंटे तक विचार-विमर्श करने के बाद आमिर खान ने आखिरकार वो टोपी सेलेक्ट की जो आइकॉनिक बन गई. आज भी दर्शकों को वो टोपी अच्छे से याद है. इस टोपी ने फिल्म में आमिर के लुक को सबसे हटकर बना दिया था.
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महेश भट्ट की फिल्म ‘दिल है कि मानता नहीं’ इंग्लिश फिल्म ‘इट हैपन्ड वन नाइट’ की हिंदी अडैप्टेशन थी. 2.23 करोड़ रुपए के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स-ऑफिस पर छप्परफाड़ कमाई की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोमांटिक फिल्म ‘दिल है कि मानता नहीं’ ने बॉक्स-ऑफिस पर बजट से लगभग दोगुनी कमाई की थी. फिल्म ने 4.52 करोड़ रुपए का शानदार कलेक्शन दर्ज किया था.
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आमिर खान ने ‘दिल है कि मानता नहीं’ की सफलता से स्टारडम का स्वाद चखा था. उनकी ऑडियंस के बीच काफी अच्छी फैन फॉलोइंग देखने को मिली थी. आमिर खान के पास फिल्मों की लाइन लग गई थी.
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महेश भट्ट ने रेडियो नशा संग इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया था कि इस फिल्म से पहले आमिर खान की बैक-टू-बैक कई फिल्में फ्लॉप हो चुकी थीं जिसके बाद मेकर्स उनपर दांव लगाने से डर रहे थे.
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उन्होंने बताया था कि फिल्म इंडस्ट्री के काम करने का तरीका ऐसा है कि जब कोई एक्टर फ्लॉप होने लगता है तो कोई उसके साथ काम नहीं करना चाहता, लेकिन जब वो एक या दो हिट दे देता है तो उसे फिर से काम मिलने लग जाता है. अमीर खान और पूजा भट्ट के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था.