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हफ्ते में 3 दिन नसीब होता था खाना, भीख मांगकर किया गुजारा, फिर पलटी किस्मत…

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नई दिल्ली. कादर खान (Kader Khan) एक अभिनेता के साथ स्क्रिप्ट राइटर और फिल्म निर्माता भी थे. एक अभिनेता के रूप में उन्होंने साल 1973 में आई फिल्म 'दाग' से अपने करियर की शुरुआत की थी, जिसमें राजेश खन्ना लीड रोल में थे. वे 1970 के दशक के अंत से 90 के दशक तक बॉलीवुड में सक्रिय रहे. कादर खान ने 200 फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखे. अफगानिस्तान में जन्मे कादर ने बॉम्बे विश्वविद्यालय से संबद्ध इस्माइल यूसुफ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. 1970 के दशक की शुरुआत में फिल्म उद्योग में प्रवेश करने से पहले, वह मुंबई के एमएच साबू सिद्दीक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी थे.

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आपको यह जानकर जरूर हैरानी हो रही होगी कि कादर खान इतने पढ़े लिखे थे, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जिस गरीबी में उन्होंने अपना बचपन गुजारा वहां से निकलकर पढ़ाई करना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि उन्हें अपनी मां को दिया हुआ एक वादा पूरा करना था.

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दरअसल, कादर उस वक्त महज एक साल के ही थे जब उनके माता-पिता अफगानिस्तान से भारत आ गए. वे मुंबई के स्लम इलाकों में रहने लगे, लेकिन उनके पिता को वहां का वातावरण अच्छा नहीं लग रहा था, जिसकी वजह से कादर के माता-पिता के बीच हमेशा लड़ाई होती थी. आखिरकार दोनों ने तालाक ले लिया और कादर के मां की परिवार वालों ने जबरन दूसरी शादी करवा दी.

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कादर का सौतेला पिता उन्हें बहुत प्रताड़ित करते थे. वह जानते थे कि कादर की उनके पहले पिता से काफी बनती है तो उन्हें 10 किलोमीटर दूर पैदल भेज कर, उनके पहले पिता से हमेशा 2 रुपये मंगवाते थे. इतना ही नहीं, उनके सौतेले पिता उनसे मस्जिद के बाहर भीख तक मंगवाते थे. घर की दयनीय स्थिति ठीक नहीं थी.

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कहा जाता है कि कादर का पूरा परिवार हफ्ते में सिर्फ 3 दिन ही खाना खाता था और बाकी दिन भूखे ही रहता था. एक बार गरीबी से तंग आकर और दोस्तों की बातों में आकर कादर ने अपनी किताबें जला दी थीं, जिस पर उनकी मां काफी नाराज हुई थी. उन्होंने कादर से कहा था कि पढ़ाई छोड़ देने से गरीबी खत्म नहीं हो जाती. तभी उन्होंने अपनी मां से वादा किया था कि वह पढ़कर एक बड़ा आदमी बनेंगे.

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मां के निधन के बाद उन्होंने जमकर पढ़ाई की और अपनी मां से किया हुआ वादा को भी पूरा किया. जब वह मुंबई के एमएच साबू सिद्दीक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर बने, तो साथ ही साथ वह थिएटर से भी जुड़े. उन दिनों उनका एक ड्रामा 'ताश के पत्ते' बहुत फेमस हुआ था और जब इस ड्रामा की खबर दिलीप कुमार तक पहुंची तो उन्होंने कादर खान को कॉल करके कहा व ह इस ड्रामा को देखना चाहते हैं. बस यहीं से उनकी फिल्मी करियर की शुरुआत हो गई.

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ड्रामा देखने के बाद दिलीप कुमार ने स्टेज से ही घोषणा कर दी वह कादर खान को काम देंगे. इसके बाद दिलीप कुमार ने कादर खान को दो फिल्मों में साइन किया. देखते ही देखते कादर खान बॉलीवुड का चमकता सितारा बन गए. अपने करियर में उन्होंने हर तरह का किरदार निभाया. लोग आज भी उन्हें उनके अभिनय के लिए याद करते रहते हैं.

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