Vijay Kedia Stock Selection Method : शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों के लिए विजय केडिया कोई अनजाना नाम नहीं है. ट्रेंडलाइन के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2024 में विजय केडिया की नेट वर्थ 780.8 करोड़ रुपये थी. खास बात ये है कि यह सारा पैसा उन्होंने शेयर बाजार से बनाया है, वह भी निवेश करके, न कि ट्रेडिंग से. उन्हें बाजार का बुल माना जाता है. तो ऐसे में हाल-फिलहाल शेयर बाजार में एंट्री लेने वाले युवाओं के मन में सवाल उठता है कि उनका स्टॉक सिलेक्शन का फॉर्मूला क्या होगा? इस बारे में यदि कोई और कहेगा तो उसे मानने या न मानने पर सवाल हो सकता है, लेकिन जब खुद विजय केडिया ही बताएंगे तो सुनना तो बनता है.
उनकी शुरुआत भी फ्यूचर एंड ऑप्शन्स (F&O) में ट्रेडिंग से ही हुई थी. काफी पैसा खोने के बाद उन्हें समझ आया कि निवेश से ही पैसा बन सकता है. उसके बाद उन्होंने केवल इन्वेस्ट किया और खूब कमाया. हाल ही में मनीकंट्रोल के साथ एक साक्षात्कार में विजय केडिया ने बताया कि कैसे वे कंपनियों को चुनते हैं और उनके निवेश के पीछे की रणनीति क्या होती है. उन्होंने इतने आसाना उदाहरण से समझाया कि कंपनियों को चुनना कितना आसान है. चलिए समझते हैं.
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विजय केडिया का स्टॉक चुनने का फॉर्मूला
केडिया का कहना है कि वे एक ऐसा फॉर्मूला अपनाते हैं जो सामान्य निवेशकों से अलग है. उनके अनुसार, वे एक हष्ट-पुष्ट आदमी या पुराने एथलीट के उदाहरण का पालन करते हैं. केडिया कहते हैं- “अगर किसी व्यक्ति का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है और उसने पहले भी खुद को साबित किया है, तो जब वह बीमार पड़ता है, मैं उस पर नजर रखता हूं.”
How to find multibagger stocks by Vijay Kedia#StockMarketindiapic.twitter.com/2JIcmEHouV
— Stockeens (@Stockeens) August 1, 2024
वे बताते हैं कि जब एक सफल व्यक्ति बीमार पड़ता है, तो उसे ठीक होने का मौका देना चाहिए. वे इस बात का इंतजार करते हैं कि वह व्यक्ति कब रिकवर करेगा और कब फिर से अपनी पुरानी फॉर्म में आएगा. कभी-कभी यह प्रक्रिया 2 साल, 5 साल या यहां तक कि 7 साल भी ले सकती है. लेकिन केडिया का मानना है कि एक अनुभवी व्यक्ति अपनी बीमारी से उबरकर फिर से अपने पुराने स्वरूप में वापस आ सकता है.
वेट एंड वॉच की नीति
अरबपति निवेशक विजय केडिया का यही फॉर्मूला कंपनियों पर लागू होता है. उन्होंने कई कंपनियों में इसी रणनीति के तहत निवेश किया है. कुछ प्रमुख उदाहरण हैं सुदर्शन कैमिकल, वैभव ग्लोबल, तेजस नेटवर्क, और पटेल इंजीनियरिंग. पटेल इंजीनियरिंग के बारे में बात करते हुए केडिया बताते हैं कि एक समय यह शेयर 800 रुपये का था, लेकिन बाद में इसकी कीमत घटकर 8 रुपये रह गई. इसका मतलब यह है कि इसने अपनी 99% वैल्यू खो दी.
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केडिया कहते हैं, “800 रुपये में जिसने लिया, उसने 792 रुपये खोए, मगर हमारे पास खोने को 8 रुपये ही हैं.” वे मानते हैं कि जब किसी शेयर की वैल्यू इतनी कम हो जाती है, तो उसमें निवेश का जोखिम भी कम हो जाता है.
कैपिटल एलोकेशन की समझ
कई सालों से लगातार निवेश में बने रहने वाले विजय केडिया का कहना है कि वे ऐसे शेयरों में अपना पूरा पैसा नहीं लगाते. उनका कैपिटल एलोकेशन कम रहता है, ताकि जोखिम को लिमिट में रखा जा सके. उनका मानना है कि जब एक बीमार आदमी ठीक होता है, और दौड़ने के लिए तैयार होता है, तो उस पर पैसा लगाना लाभदायक हो सकता है.
यह रणनीति उन्हें जोखिम कम करने और संभावित लाभ बढ़ाने में मदद करती है. जब वे देखते हैं कि एक कंपनी जो पहले सफल रही है, मुश्किल समय से गुजर रही है, तो वे उसमें निवेश करने के लिए तैयार होते हैं. वे धैर्यपूर्वक कंपनी के सुधार और पुनः वृद्धि का इंतजार करते हैं.
असल में क्या कहना चाहते हैं विजय केडिया?
विजय केडिया का निवेश फॉर्मूला न केवल अनोखा है, बल्कि बहुत प्रभावी भी है. उनके अनुसार, अनुभवी और अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले कंपनियों में निवेश करना चाहिए. ऐसे कंपनियां जब मुश्किल दौर से गुजर रही होती हैं, तो उन पर नजर रखनी चाहिए. जब वे वापस अपनी फॉर्म में आने लगती है तो उनमें पैसा लगाना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है. उनके इस दृष्टिकोण से यह स्पष्ट है कि निवेश में धैर्य, समझदारी और जोखिम प्रबंधन का कितना महत्व है. विजय केडिया की यह रणनीति न केवल उन्हें लाभ दिलाती है, बल्कि निवेशकों को भी एक नया दृष्टिकोण प्रदान करती है.
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FIRST PUBLISHED : August 4, 2024, 13:04 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें