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नई दिल्ली. म्यूजिक इंडस्ट्री में कई सिंगर ऐसे हैं, जिन्हे असल में वो मुकाम नहीं मिला जिसकी वे हकदार थे.यहां हम जिस सिंगर के बारे में बताने जा रहे हैं कि आप भले ही उनके नाम से वाकिफ न हों, लेकिन उनके गाने सुनकर आप बड़े जरूर हुए होंगे. आपके फैमिली में उनके गाने जरूर बजेंगे. रेडियो से लेकर टीवी पर उनके गाने छाए रहते थे. यहां बात कर रहे हैं सिंगर सुमन कल्याणपुर (Suman Kalyanpur) की.
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सिंगर सुमन कल्याणपुर के नाम भले ही आज के युवाओं के बीच अनसुना है,लेकिन उनके गाने आज के नौजवानों के बीच काफी फेमस हैं. 'आज कल तेरे मेरे प्यार के चर्च', 'ना ना करते प्यार', 'जिंदगी इम्तिहान लेती है', 'मेरा प्यार भी तू है' और 'तुमने पुकारा और हम चले आये' आदि गानों के लिए वह फेमस हैं. इन मधुर गानों को आज भी सुनते बना है.
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सुमन कल्याणपुर का असली नाम सुमन हेम्मडी है. शादी के बाद उन्होंने अपना सरनेम बदल दिया था. उनकी शादी 1958 में मुंबई के बिजनेसमैन रामानंद कल्याणपुर हुई थी. इस तरह शादी के बाद सुमन हेम्मडी से वह सुमन कल्याणपुर बन गईं. इस शादी से उनकी एक बेटी है जिसका नाम चारुल अग्नि है जो शादी के बाद अमेरिका में रहती है.
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सुरीली और मधुर आवाज से लाखों लोगों का दिल जीतने वाली सुमन कल्याणपुर ने म्यूजिक इंडस्ट्री को ऊंचाईयों पर पहुंचाने में काफी योगदान दिया है. उनकी आवाज और लता मंगेशकर की आवाज में फर्क कर पाना लोगों के लिए बेहद मुश्किल होता था. कभी-कभी लोगों लगता था कि जिस गाने को लता जी गाया है उसे सुमन ही गाया है.
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हालांकि, आपको जाकर दुख होगा कि अपने मधुर और सुरीली आवाज से लता मंगेशकर को टक्कर देने वाली इस सिंगर को कभी को उनकी असल पहचान नहीं मिल पाई. उनके हाथ से एक ऐसा बेहद पॉपुलर गाना भी छिन लिया गया था. हालांकि, वह उस गाने की प्रैक्टिस भी कर चुकी थीं. उस गाने को उन्हें उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सामने गाना था.
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वो गाना था 'ए मेरे वतन के लोगो' यूं तो इस गाने को लता मंगेशकर ने गाया, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि लता जी इस गाने की पहली पसंद नहीं थी. इसे बारे में खुद सुमन कल्याणपुर ने ही एक इंटरव्यू के दौरान बताया था. अमर उजाला की एक रिपोर्ट में इस बारे में विस्तार से बताया गया है. रिपोर्ट में सुमन कल्याणपुर के उस इंटरव्यू के जिक्र किया गया है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि सुमन कल्याणपुर ने खुद 'ए मेरे वतन के लोगो' गीत को लेकर बड़ा खुलासा किया था. उन्होंने बताया था कि 'ए मेरे वतन के लोगो' गाना उन्हें ऑफर किया गया था. इस गाने को उन्हें पहली बार पंडित जवारहलाल नेहरू के सामने यह गीत गाने के लिए मुझे बुलाया गया था. इस सुनहरे पल को पाकर सुमन बेहद खुश थीं. हालांकि जब वह नेहरू के सामने पहुंचीं, तो उन्हें इस गाने के अलावा एक दूसरे गाने को गाने को कह दिया गया.
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कल्याणपुर इस बात से काफी हैरान थी. उन्हें समझ नहीं आया कि जिस गाने का उन्होंने इतनी मेहनत और लगन से अभ्यास की थी. वह गाना उनसे छीन लिया गया था. यह उनके लिए बड़ा सदमा था. वह बात उन्हें आज भी चुभती है. इस बात को अभी तक समझ नहीं पाईं कि यह गाना उनसे क्यों छीन लिया गया और किसी को दे दिया गया. यह बात उन्हें आज भी चूभती है. सुमन कल्याणपुर ने इस बात का अब तक पता नही लगा कि आखिर यह गाना मुझसे क्यों छीना गया? बता दें कि 87 की हो चुकीं