मनमोहन सेजू/ बाड़मेर:- थार के रेगिस्तान में बहुतायत में पाई जाने वाली खींप जंगली झाड़ी है, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है. खींप कोई सामान्य घास नहीं है, बल्कि यह अनेक गुणों से भरपूर होती है. एक ओर जहां ये खेत में मिट्टी के कटाव को रोके रखती है, वहीं इसका जड़, तना, रस व फलियां इंसानों सहित दुधारू पशुओं के अनेक रोगों को दूर करने में रामबाण होती हैं. भारत में यह झाड़ी मुख्यतः पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है.
देश के साथ विदेशों में भी है उपलब्ध
इसकी फली की शानदार सब्जी बनाई जाती है. इतना ही नहीं, इसकी टहनियों से घरों की बड़ी ही शानदार छप्पर बनाई जाती है. पशु के बाड़े के लिए इसकी झाड़ू भी बनाई जाती है. यह झाड़ी भारत में रेगिस्तानी इलाकों बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, श्रीगंगानगर के अलावा विदेशों, जैसे पाकिस्तान, अफ्रिकन देश, इजिप्ट, सूडान, सोमालिया, लीबिया और अल्जीरिया में पाई जाती है. खींप रेत के टीलों पर झुण्ड के रूप में मुख्य रूप से उगती है.
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1 से 3 मीटर होती है ऊंचाई
यह रेगिस्तानी क्षेत्रों में बलुई मिट्टी में पाई जाने वाली एक मुख्य बहुवर्षीय झाड़ी है. इस झाड़ी की ऊंचाई 1 से 3 मीटर तक होती है. खींप का पौधा गहरे हरे रंग का पत्ती रहित, एक सीधे खड़े तने के रूप में होता है. गर्मियों के मौसम में जब चरने के लिए अन्य झाड़ियां उपलब्ध नहीं होती हैं, तब ऊंट, खींप की कोमल शाखाओं को खा लेता है.
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FIRST PUBLISHED : June 24, 2024, 17:29 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.