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मोदी का पुतिन यूं ही नहीं कर रहे ऐसी आवभगत, भारत के रूस पर इतने ‘एहसान’ जो हैं

नई दिल्ली: भारत और रूस की दोस्ती दशकों पुरानी है. वैश्विक हालातों ने कई उतार-चढ़ाव दिखाए, मगर इस दोस्ती का रंग फीका न पड़ा. भारत और रूस की दोस्ती दुनिया को खटकती है. अव्वल तो भारत पर रूस से रिश्ते तल्ख करने या यूं कहें कि खत्म करने का भी दवाब रहा. मगर भारत ने संकट के वक्त में अपने साथी का साथ नहीं छोड़ा. पिछले ढाई साल से यूक्रेन के साथ रूस जंग लड़ रहा है. जंग की वजह से रूस दुनिया की आलोचना को झेल रहा है. यूक्रेन जंग को लेकर ही रूस पर कई बंदिशें हैं. पूरी दुनिया उसे अलग-थलग करने में जुटी है. अमेरिका रूस को भयंकर तरीके से तोड़ने में लगा है. यूक्रेन जंग की शुरुआत से ही रूस पर संकट के बादल छाए हुए हैं. एक तरह से वह अकेला पड़ गया है. मगर रूस का सच्चा दोस्त भारत उसके संकट की घड़ी में भी उसका साथ दे रहा है. यही वजह है कि दुनिया की चिंता किए बगैर पीएम मोदी रूस दौरे पर गए हैं. पीएम मोदी का दौरा ऐसे वक्त में हुआ है, जब पूरी दुनिया रूस के खिलाफ खड़ी नजर आ रही है और अमेरिका में नाटो देश यूक्रेन जंग पर चर्चा के लिए बैठक कर रहे हैं.

पीएम मोदी जब रूस पहुंचे तो सबकी नजर इस बात पर टिकी थी कि रूस में उनका स्वागत किस तरह होता है. यह इसलिए भी क्योंकि हाल के दिनों में रूस और चीन के बीच घनिष्ठता देखी गई है. बीते कुछ समय से चीन ने रूस पर खूब डोरे डाले हैं. ऐसा लगने लगा कि रूस और चीन की यारी खूब बढ़ी है. रूस का फोकस भारत से शिफ्ट होकर चीन पर चला गया है. मगर जब पीएम मोदी मॉस्को की धरती पर उतरे तो ये सारी बातें महज कल्पना की उपज दिखीं. पीएम मोदी का पुतिन ने जिस तरह स्वागत किया, उससे स्पष्ट हो गया कि भारत और रूस की दोस्ती अटूट है. जबकि रूस की चीन संग दोस्ती गरज है. चीन ने रूस को अपने पाले में लाने की खूब कोशिश की, मगर पुतिन ने दिखा दिया कि उसके लिए उसका पुराना यार यानी भारत ही अधिक इम्पॉर्टेंट है. पीएम मोदी का स्वागत रूस के पहले डिप्टी पीएम ने किया. यह इसलिए भी खास है, क्योंकि जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले साल रूस गए थे तो उनका स्वागत रूस के सेकेंड डिप्टी पीएम ने किया था.

मोदी के सामने जिनपिंग की इज्जत कम
रूस में वरीयता क्रम में राष्ट्रपति पुतिन के बाद फर्स्ट डिप्टी पीएम आते हैं. उनके बाद सेकेंड डिप्टी पीएम का नंबर है. मॉस्को पहुंचने पर पीएम मोदी की अगवानी वनुकोवो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर रूस के फर्स्ट डिप्टी पीएम डेनिस मंटुरोव ने किया. वह एयरपोर्ट से होटल तक पीएम मोदी के साथ रहे. जबकि जिनपिंग की अगवानी सेकेंड डिप्टी पीएम ने किया था. इस तरह मॉस्को में चीनी राष्ट्रपति से ज्यादा इजज्त पीएम मोदी को दी गई. यह पहला मौका था जब रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने किसी विदेशी शासनाध्यक्ष के लिए देश के एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी के लिए देश के प्रथम डिप्टी पीएम को भेजा हो. राष्ट्रपति पुतिन के ठीक नीचे रूस के सर्वोच्च पद वाले लीडर के द्वारा पीएम मोदी रेड-कार्पेट वेलकम का यह भाव, इस बात का स्पष्ट संदेश देता है कि रूस के लिए भारत का साथ कितना अहम है. साथ ही रूस भारत के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देता है.

आखिर मोदी की इतनी आवभगत क्यों?
अब सवाल उठता है कि आखिर पीएम मोदी की पुतिन इतनी आवभगत क्यों कर रहे हैं? चीन से भी ज्यादा इज्जत भारत को क्यों मिल रही है? आखिर भारत के किन कामों की वजह से रूस अहसानमंद नजर आ रहा है? इन सवालों के जवाब समझने में शायद ही किसी को परेशानी हो. संकट के समय में रूस के साथ पूरी दुनिया में एक ही देश है, जो मजबूती के साथ खड़ा रहा. वह है भारत. यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू करने के बाद रूस पर प्रतिबंधों की बरसात हुई. रूस के साथ संबंध रखने वाले देशों को भी पश्चिम ने डराया-धमकाया. प्रतिबंधों के दबाव से सभी डर गए, मगर भारत नहीं डिगा. संकट के समय में भी भारत ने अपना जिगरा दिखाया और रूस का साथ नहीं छोड़ा. यूक्रेन से जंग लड़ रहा रूस कुछ समय से मुश्किल स्थिति में था. उसे पैसों की जरूरत थी. उससे तेल खरीदने में सब अमेरिका से डर रहे थे. तब भारत ही वह देश था, जिसने लगातार तेल खरीदकर उसकी जरूरतों को पूरा किया. भारत के तेल खरीदने से रूस की कमाई और राजस्व में वृद्धि हुई. अमेरिका समेत पश्चिम देशों ने भारत पर तेल न खरीदने का खूब दबाव बनाया. मगर भारत ने उनकी एक न सुनी. इस तरह भारत रूस का साथ देता रहा.

पुतिन भी समझते हैं दोस्ती और गरज में फर्क
इतना ही नहीं, यूक्रेन संग जंग के बावजूद भारत रूस के साथ खड़ा दिखा है. हर इंटरनेशनल मंचों पर भारत ने रूस का साथ दिया है. हाल ही में स्विटजरलैंड में हुई यूक्रेन पीस समिट के दौरान भी भारत ने समझौतों पर सिग्नेचर नहीं कर रूस की दोस्ती निभाई. जबकि पश्चिम देशों की नाराजगी से बचने के लिए चीन तो समिट में गया ही नहीं. हालांकि, भारत ने कभी भी रूस-यूक्रेन जंग को जायज नहीं ठहराया. भारत ने हमेशा से शांति की वकालत की है. भारत ने भले ही सार्वजनिक मंचों पर कभी पुतिन की आलोचना नहीं की, मगर युद्ध को शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए खत्म करने की सलाह दे चुका है. भारत ने दोस्ती की लाज रखते हुए हमेशा यूक्रेन जंग को बातचीत से निपटाने की वकालत की है. रूस संग दोस्ती निभाने में भारत ने कभी दुनिया की नाराजगी की परवाह नहीं की. जबकि चीन तो अमेरिका और पश्चिम के दबाव में झूक भी गया. यही वजह है कि उसने खुलकर कभी भी रूस का साथ नहीं दिया. यह बात खुद पुतिन भी समझते हैं. पुतिन भी दोस्ती और गरज का फर्क समझते हैं. यही वजह है कि पीएम मोदी की रूस में खूब आवभगत हो रही है.

Tags: India russia, PM Modi, Russia ukraine war, Vladimir Putin

FIRST PUBLISHED : July 9, 2024, 07:41 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें

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