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नई दिल्ली. संजीव कुमार ने अपने हर किरदार से बतौर एक्टर हमेशा इम्तिहान दिया है. असल जिंदगी में भी वह शुरुआत से ही संघर्ष करते आ रहे थे. बावजूद इसके उनके चेहरे पर हमेशा स्माइल बनी रही और उन्होंने अपनी एक्टिंग से लोगों को हैरान किया. हिंदी सिनेमा में उन्होंने अपने काम से अहम योगदान दिया है.( फोटो साभार: IMDB)
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हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता संजीव कुमार का एक्टिंग करियर भले ही 25 साल रहा हो. लेकिन उन्होंने जितना काम किया, शानदार किया. उनके निभाए कई रोल लोगों के जहन में बस गए हैं. साल 1975 में रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' में भी उन्होंने ठाकुर का किरदार निभाकर इतिहास रच दिया था.
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संजीव कुमार ने बी ग्रेड की फिल्मों से शुरुआत की, लेकिन अपने एक्टिंग टैलेंट के दम पर उन्होंने वो स्टारडम हासिल कर लिया था, जिसके चलते मल्टीस्टारर फिल्मों में भी वो सबसे ज्यादा फीस वसूलने लगे थे. फिल्म खिलौना में तो मुमताज संग उनकी जोड़ी काफी पसंद की गई थी.
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बेहद कम उम्र में पिता की मौत, परिवार चलाने के लिए मां का संघर्ष, थिएटर से लगाव, कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी लेकर वह शुरुआत से ही काम करते आ रहे थे.संघर्ष की धूप में तपकर वह सोना बने थे.
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संजीव कुमार इंडस्ट्री अपनी कंजूसी को लेकर भी चर्चा में रहते थे. कंजूसी की एक वजह यह थी कि वह बेहद नॉर्मल कपड़े पहना पसंद करते थे और दान आदि से पीछे रहते थे. अंजू ने बताया था कि संजीव को जिसे पैसा देना होता था दिल खोल कर देते थे और जिसे नहीं देना था उसे बिलकुल नहीं ही देते थे.
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असल जिदंगी में संजीव कुमार बेहद दिलदार इंसान थे. अनिल कपूर को स्टार बनाने वाले संजीव कुमार ही थे. साल 1983 में आई अनिल कपूर की फिल्म 'वो सात दिन' के राइट्स खरीदने के लिए मेकर्स ने उनसे सवा लाख रुपए मांगे थे और उनके पास पैसे नहीं थे. ऐसे में संजीव कुमार ने ही उन्हें सवा लाख रुपए दिए थे. इस बात का खुलासा बोनी कपूर ने ही किया था.
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साल 1983 में आई अनिल कपूर और पद्मिनी कोल्हापुरे की ये फिल्म बड़ी हिट साबित हुई थी. इस फिल्म से ही इंडस्ट्री को अनिल कपूर जैसा सुपरस्टार मिला था. इस फिल्म में अनिल कपूर के काम को काफी पसंद किया गया था. इस फिल्म के बाद ही अनिल की किस्मत चमकी थी. (फोटो साभार: IMDB)