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July 6, 2024
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बच्चों को चुप कराने के लिए आप भी पकड़ा देते हैं स्मार्टफोन? कभी न करें गलती

Smartphones Effect on Children: आजकल छोटे बच्चे रोएं, तो पैरेंट्स उन्हें स्मार्टफोन थमा देते हैं. स्क्रीन देखकर बच्चे तुरंत चुप हो जाते हैं. पैरेंट्स को लगता है कि स्मार्टफोन बच्चों को शांत और खुश रखने का बेहतर तरीका है. हालांकि छोटी-छोटी बात पर बच्चों को स्मार्टफोन दिखाने की आदत भविष्य में परेशानी की वजह बन सकती है. जी हां, यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि एक नई रिसर्च में वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है. इसमें यह भी कहा गया है कि बच्चों को ज्यादा फोन दिखाने से वे कई ऐसी चीजें नहीं सीख पाते हैं, जो अच्छी जिंदगी के लिए बेहद जरूरी होती हैं.

डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक एक नई रिसर्च में पता चला है कि छोटे बच्चों को चुप कराने के लिए स्मार्टफोन देने से उनके इमोशंस को कंट्रोल करने की क्षमता विकसित नहीं हो पाती है. अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में बच्चे सेल्फ रेगुलेशन और परिस्थितियों के अनुसार रिएक्ट करना सीखते हैं. जब बच्चों में यह क्षमता डेवलप हो जाती है, तब वे निराशाजनक या तनावपूर्ण परिस्थितियों में गुस्से के बजाय शांति से रिएक्ट करने लगते हैं. इससे उन्हें यह सीखने में मदद मिलती है कि दूसरों के साथ कैसे घुलें मिलें और स्वतंत्र बनें. हालांकि बात-बात पर स्मार्टफोन देने से बच्चे ऐसा नहीं सीख पा रहे हैं.

वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि लंबे समय तक बच्चों को शांत करने के लिए स्मार्टफोन देने से हानिकारक परिणाम हो सकते हैं. यह रिसर्च हंगरी के इओटवोस लोरंड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने की है. इस स्टडी में औसतन 3.5 साल के 265 पैरेंट्स से बच्चों के व्यवहार के बारे में पूछताछ की गई. इस डाटा का एनालिसिस करने पर पता चला कि जितना अधिक माता-पिता फोन या टैबलेट को शांत करने वाले उपकरण के रूप में इस्तेमाल करते थे, एक साल बाद उनके बच्चों का गुस्सा और फ्रस्ट्रेशन मैनेजमेंट स्किल उतनी ही कमजोर हो गई.

इस स्टडी की ऑथर डॉ. वेरोनिका कोनोक का कहना है कि अगर माता-पिता अपने बच्चे को शांत करने या गुस्से को रोकने के लिए नियमित रूप से एक डिजिटल डिवाइस देते हैं, तो बच्चा अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना नहीं सीख पाएगा. इससे ​​बाद में जीवन में अधिक गंभीर समस्याएं पैदा हो जाएंगे. खासतौर से एंगर मैनेजमेंट से संबंधित समस्याएं पैदा हो सकती हैं. बच्चों के नखरे को डिजिटल उपकरणों से ठीक नहीं किया जा सकता. बच्चों को यह सीखना होगा कि वे अपने नेगेटिव इमोशंस को खुद कैसे मैनेज कर सकते हैं. सीखने की इस प्रक्रिया के दौरान उन्हें अपने माता-पिता की मदद की जरूरत होती है, डिजिटल डिवाइस की मदद की नहीं.

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Tags: Health, Lifestyle, Parenting tips, Trending news

FIRST PUBLISHED : July 2, 2024, 15:11 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें

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