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July 4, 2024
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तपतपाए गर्म फूड को गलती से भी प्लास्टिक के डिब्बे में न रखें, होगी घातक बीमारी

Hot Food in Plastic Containers: अक्सर घरों में ऑफिस जाते समय लोग टिफिन में खाना बंद कर ले जाते हैं. वहीं गांव-गांव में मां अपने बच्चों को स्कूल भेजते समय टिफिन में खाना दे देती हैं. हालांकि अधिकांश घरों में इस काम के लिए प्लास्टिक के डिब्बे का इस्तेमाल किया जाता है. अगर आप भी प्लास्टिक के डिब्बे में गर्म फूड को बंद कर अपने प्रियजनों को खाने के लिए देते हैं, तो इस आदत को अभी बदल डालिए क्योंकि यह आदत अगर ज्यादा दिनों तक चली तो इससे घातक बीमारियां हो सकती हैं. हाल ही में लाइफस्टाइल एक्सपर्ट ल्यूक कोटिन्हो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर आगाह किया है कि गर्म फूड को तुरंत प्लास्टिक के डिब्बे में बंद करने का सिलसिला रेस्टोरेंट को रोक देना चाहिए. कोटिन्हो के इस पोस्ट पर जोमेटे के सीईओ दीपेंदर गोयल ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए इस प्रैक्टिस को बंद करने का आश्वासन दिया है.

क्या होती है परेशानी
ल्यूक कोटिन्हो ने बताया कि एक तो रेस्टोरेंट में पहले ही बहुत तेज आंच पर खाना को पकाया जाता है. दूसरा इसे रिफाइंड तेल में बनाया जाता है. इससे भोजन की पौष्टिकता पहले ही नष्ट हो जाती है. इसके बाद यदि आप गर्म खाने को तुरंत प्लास्टिक के डिब्बे में रख देंगे तो प्लास्टिक से हानिकारक रसायन रिसने लगेगा. हम सब जानते हैं कि प्लास्टिक में बीपीए यानी बिस्फेनोल (Bisphenol) जैसे हानिकारक रसायन होते हैं. यह रिसकर भोजन में घुस जाता है और यही भोजन जब खाते हैं तो इससे हमारे शरीर में बिस्फेनोल आ जाता है. इतना ही नहीं प्लास्टिक में अन्य कई तरह के हानिकारक रसायन होते हैं जिनका हमारे शरीर पर बहुत बुरा असर पड़ता है.

बिस्फेनोल कितना घातक
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बिस्फेनोल पोलीकार्बोनेटेड प्लास्टिक में पाया जाता है. इसे बीपीए भी कहा जाता है. बीपीए महिलाओं में एस्ट्रोजन को प्रभावित करने लगता है जिसके कारण यह हार्मोन के संतुलन को खराब कर देता है. इससे महिलाओं में फर्टिलिटी की समस्या हो सकती है. वहीं अगर यह बहुत ज्यादा दिनों तक शरीर में जाता रहे तो इससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. वहीं यह पुरुषों की फर्टिलिटी को प्रभावित करता है और हार्ट डिजीज का जोखिम भी बढ़ा देता है.

फथालेट्स के नुकसान
प्लास्टिक में एक और घातक रसायन रहता है. दरअसल, प्लास्टिक को मजबूत और लचीला बनाने के लिए इसमें फथालेट्स (Phthalates) जैसे हानिकारक रसायन का इस्तेमाल किया जाता है. फथालेट्स हमारे शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम को बिगाड़ देता है. जर्नल ऑफ टॉक्सिकोलॉजी की रिसर्च के मुताबिक फथालेट्स प्रजनन क्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. फथालेट्स के अलावा पोलिस्टाइरिन कंटेनर में स्टाइरिन केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. यह कार्सिनोजेन होता है. यानी इससे कैंसर हो सकता है. अगर यह ज्यादा दिनों शरीर में आता रहे तो इससे सिर दर्द, थकान, चक्कर जैसी समस्याएं हो सकती है.

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Tags: Health, Health tips, Lifestyle

FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 17:35 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें

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