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चमकते सोने से कम नहीं है ये पेड़, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में होती है तस्करी

आशीष कुमार/ पश्चिम चम्पारण:- पानन एक ऐसा पेड़ है, जिसके बारे में गिने चुने लोगों को ही जानकारी होती है. जब भी बात इमारती लकड़ियों और औषधीय गुणों से भरपूर पेड़ों की होती है, तो उसमें चिलबिल, सागौन, सखूवा, शीशम, महोगनी, अर्जुन, गम्हार, मालाबार नीम तथा चंदन का जिक्र बड़ी आसानी से हो जाता है, लेकिन पानन का जिक्र शायद ही कभी होता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि पानन एक ऐसा पेड़ है, जिसकी प्रकृति पूर्णतः औषधीय होती है. जानकार बताते हैं कि इसकी छाल और पत्तियों का उपयोग कॉस्मेटिक आइटम्स को बनाने से लेकर डायबिटीज, महावारी, सर्दी, जुकाम, रक्तचाप इत्यादि के उपचार में भी किया जाता है.

VTR में मिलता है यह दुर्लभ पेड़
पिछले दो दशकों से काम कर रहे, पश्चिम चम्पारण जिले के मेडिसिनल प्लांट एक्सपर्ट रविकांत पांडे लोकल 18 को बताते हैं कि करीब एक दशक पहले तक वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में पानन के पेड़ की भरमार थी. VTR के विभिन्न डिविजनों में कभी बहुतायत में दिखने वाला यह पेड़, वर्तमान में सिर्फ गनौली जैसे ऊंचे स्थानों तक ही सिमट कर रह चुका है. इस पेड़ की लकड़ियां इतनी मजबूत होती हैं कि इन्हें काटते वक्त आरा मशीन के ब्लेड तक मुड़ जाते हैं.

यूरोपियन बाज़ार में बड़ी डिमांड
बकौल रविकांत, इसकी लकड़ी सख्त, मजबूत, बारीक दाने वाली, लचीली और टिकाऊ होती है. इसके तने से एक लाल, पारदर्शी, कसैला द्रव्य निकलता है और छाल के रेशे रस्सी बनाने के लिए उपयुक्त होते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि जंगल में रहने वाले आदिवासी सदियों से इस पेड़ की पत्तियों और छाल का इस्तेमाल सर्दी जुकाम, महावारी, रक्तचाप तथा डायबिटीज के उपचार में करते आ रहे रहे हैं. इस पेड़ का औषधीय महत्व इतना है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके छाल की तस्करी की जाती रही है. मुख्य रूप से यूरोपियन बाजार में इसकी छाल और लाल द्रव्य की डिमांड जबरदस्त है.

ये भी पढ़ें:- पटना को नए अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की सौगात, केंद्र सरकार ने जारी किए फंड, कुल इतने करोड़ की लागत

विभिन्न नामों से जाना जाता है
एक्सपर्ट रविकांत पांडे Local18 को बताते हैं कि अफसोस की बात यह है कि वर्तमान में पानन के गिने चुने पेड़ ही दिखते हैं. मजबूत लकड़ियों और औषधीय गुणों से लैस होने की वजह से इसकी अंधाधुंध कटाई की गई. देश के विभिन्न भागों में इसे काला पलास, तिवस, तिनसा इत्यादि नामों से भी जाना जाता है. हालांकि पानन का वैज्ञानिक नाम डेस्मोडियम ऊजेनेंसिस है.

Tags: Bihar News, Health News, Local18

FIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 16:43 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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