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नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा के 100 सालों से ज्यादा के इतिहास में कई दिग्गज एक्टर हुए. किसी को सदी का पहली सुपरस्टार कहा गया तो कोई सदी का महानायक बना. 60 के दशक में राज कपूर से लेकर दिलीप कुमार तक कई सितारों ने एक से बढ़कर फिल्में दी. 'घमंडी' एक्टर के नाम से फेमस हुए राजकुमार की तो सालों बाद भी चर्चाएं होती हैं. सरकारी नौकरी छोड़कर एक्टर बने और अपनी शर्तों पर काम किया. क्या आप जानते हैं कि सिर्फ राजकुमार ही नहीं बॉलीवुड में एक और ऐसे सुपरस्टार हुए, जिन्होंने पुलिस की सरकारी नौकरी छोड़ा और एक्टर बनने का ख्वाब लेकर माया नगरी पहुंच गए.
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हिंदी सिनेमा में एक से बढ़कर एक अभिनेता हुए, लेकिन 'जुबली कुमार' कोई दूसरी नहीं बन सका. 60 के दशक के बीच उनका ऐसा जादू चला कि राजेंद्र कुमार की फिल्में 25 हफ्तों तक सिनेमाघरों में लगी ही रहती थीं. हर फिल्म सिल्वर जुबली बनाकर ही उतरती थी. इसी वजह से उनका नाम जुबली कुमार पड़ गया था. ये एक्टर और कोई नहीं बल्कि राजेंद्र कुमार थे. फाइल फोटो.
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राजेंद्र कुमार का जन्म 20 जुलाई 1929 को सियालकोट में हुआ था. परिवार विभाजन के बाद भारत आ गया था. पिता ने भी कपड़ो का बिजनेस शुरू कर दिया, जो अच्छा चलने लगा था. बचपन से ही राजेंद्र कुमार अभिनय के क्षेत्र में जाना चाहते थे. दोस्त भी उन्हें एक्टिंग में करियर बनाने की सलाह दिया करते थे. बस दिल में जो था उन्होंने वो कर डाला और पुलिस की नौकरी छोड़ एक्टर बन गए.
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तुनक मिजाजी राजकुमार साहब के बारे में आप जानते होंगे कि उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ एक्टिंग को अपना करियर बनाया. राजेंद्र कुमार भी उसी लिस्ट में शुमार हैं. राजेंद्र कुमार का पुलिस की नौकरी के लिए सलेक्शन हो गया था, लेकिन ट्रेनिंग में जाने से 2 दिन पहले वह एक्टर बनने का सपना लेकर वह माया नगरी यानी मुंबई पहुंच गए.
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मुंबई आने के बाद राजेंद्र को पता लगा कि फिल्मों की राह इतनी आसान नहीं है. शर्म के मारे उन्होंने घर ना जाने का फैसला किया और मुंबई में ही डटे रहे. लेकिन कहते हैं मेहनत का फल मीठा होता है. वह संघर्ष कर रहे थे और कई साल की कोशिशों के बाद उन्हें असली पहचान साल 1957 में रिलीज फिल्म 'मदर इंडिया' से मिली. इस फिल्म में उन्होंने नर्गिस के बेटे का रोल निभाया था. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा. फोटो साभार: @Film HistoryPics/twitter
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उनकी पहली सबसे बड़ी हिट फिल्म 'गूंज उठी शहनाई' (1959) थी. इस फिल्म से उन्हें रोमांटिक हीरो के तौर पर पहचाना जाने लगा. 1960 के दशक में उनकी कई फिल्में एक साथ सिनेमाघरों में हिट साबित हुईं. ये फिल्में सिनेमाघरों में लगातार 25 हफ्तों तक लगी रहीं, जिसके बाद उन्हें 'जुबली कुमार' कहा जाने लगा. फोटो साभार: @Film HistoryPics/twitter
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राजेंद्र कुमार एक्ट्रेस नूतन को बहुत चाहते थे. लेकिन घर वालों ने उन्हें शादी की इजाजत नहीं दी थी. वह इस रिश्ते के टूटने से महीनों तक रोते रहे. नतीजा ये हुआ कि दोनों किसी भी बॉलीवुड फिल्म में साथ में काम नहीं करते थे. हालांकि, बाद में सावन कुमार ने दोनों को अपनी फिल्म में कास्ट किया था. फिल्म 'साजन बिना सुहागन' में राजेंद्र ने पिता की भूमिका निभाई थी. वहीं, नूतन ने मां का रोल अदा किया था.
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कहा जाता है हर किसी का दौर आता है और उसका अंत भी होता है. राजेश खन्ना की एंट्री से राजेंद्र कुमार का लोगों पर जादू कम होने लगा. अपने करियर में उन्होंने 85 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, जिसमें 'धूल का फूल', 'पतंग', 'धर्मपुत्र' और 'हमराही' उनकी सुपरहिट फिल्मों में से एक हैं. उन्हें कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से भी नवाजा जी चुका है.