वसीम अहमद/अलीगढ़. मिर्गी यानी एपिलेप्सी क्रोनिक ब्रेन डिजीज है. मिर्गी की बीमारी होने पर लोगों को बार-बार दौरे पड़ते हैं और इसकी वजह से उनकी जिंदगी बुरी तरह प्रभावित होती है. एपिलेप्सी सबसे कॉमन बीमारियों में से एक है, जो दुनियाभर में 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रभावित करती है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार मिर्गी की बीमारी के सबसे ज्यादा मामले कम आय वाले देशों में मिलते हैं और भारत में लाखों लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं.
एक अनुमान के मुताबिक मिर्गी से पीड़ित 70% लोगों को सही इलाज मिले, तो वे मिर्गी के दौरे से ठीक हो सकते हैं. फिजियोलॉजिस्ट डॉक्टर फिरदोस जहां बताती हैं कि मिर्गी के दौरे पड़ने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं. जैसे कि जन्म के वक्त नॉर्मल तरीके से डिलीवरी ना होना या बच्चों के दिमाग में किसी प्रकार का संक्रमण, सर पर चोट लगना, तेज बुखार चढ़ने के कारण भी ये दौरा पड़ सकता है. इसके अलावा शरीर में ग्लूकोज की कमी होने के कारण भी यह मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं.
यह बीमारी जेनेटिक भी होती है
डॉक्टर फिरदोस जहां ने बताया कि अगर किसी के परिवार में दौरे पड़ते हो, तो ज्यादा संभावना होती है कि उसके जींस की वजह से बच्चों में यह दौरे पड़ सकते हैं.तो हमें इस बीमारी को नजरअंदाज करने की बजाय तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए. बीमारी का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन, ईसीजी के टेस्ट किए जाते हैं.
कैसे हो सकता है मिर्गी का इलाज
डॉक्टर फिरदोस जहां ने बताया कि एपिलेप्सी के होते ही सबसे पहले आपको टाइम टू टाइम दवा लेने की जरूरत होती है. इस बीमारी में दौड़ा पढ़ने की जो दवा डॉक्टर द्वारा दी जाती है, वह काफी लंबे समय तक चलती है. मान लीजिए कि अगर आज आखिरी दौरा पड़ा है तो भी उसके बाद 3 साल तक लगातार इसकी दवा चलती है.
दौरा पड़ने के समय ये काम करने चाहिए
डॉक्टर फिरदोस जहां ने बताया कि अगर किसी को मिर्गी का दौरा पड़ रहा हो तो उस समय घबराने की बजाय उसे तत्काल डॉक्टर के पास लेकर जाएं. दौरा पड़ने के समय मरीज को कभी भी टाइट करके पकड़ना नहीं चाहिए. क्योंकि डर के दौरान शरीर में अकड़न बढ़ जाती है. जिससे हड्डी टूटने की संभावना बढ़ जाती है. मरीज को दौरा पड़ने के दौरान कभी पानी नहीं दिया जाता.
उन्होंने बताया कि दौरा पड़ने के दौरान मरीज को फौरन एक तकिया के सहारे लिटा दें. आमतौर पर यह दौरा 1 से 2 मिनट के लिए पड़ता है. इसीलिए इस दौरे के दौरान घबराने की बजाय पेशेंट के साथ यह काम करने चाहिए. जिससे कि मरीज को आराम मिल जाएगा. वैसे तो मिर्गी के दौरे में जान का खतरा नहीं होता. लेकिन अगर हम यह सावधानियां नहीं बरतेंगे तो मरीज को जान का खतरा हो सकता है.
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FIRST PUBLISHED : June 24, 2024, 16:25 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.