29 C
Mumbai
October 4, 2024
Nyaaya News
Filter by Categories
Astro
Business
Crime
Earn Money
Editor's Picks
Education and Career
Entrainment
Epaper
Fashion
Fitness
Football
India
International
Life Style
Politics
Sport
Stars
Tech
Travel
Uncategorized
Viral
Image default
Fitness

कुत्ते, बिल्ली, खरगोश खरोंचे तो हल्के में न लें, जान जानें का भी खतरा

ओम प्रकाश निरंजन / कोडरमा: पालतू पशु से विशेष प्रेम रखने वाले लोग अक्सर अपने घरों में कुत्ता, बिल्ली, खरगोश समेत अन्य जीव को रखते हैं. पालतू जानवरों को लोग अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं. ये प्यार, वफ़ादारी, और सहयोग से भरपूर होते हैं. हालांकि इन्हें पालने वाले लोगों को उनके स्वास्थ्य, वैक्सीनेशन एवं उनके व्यवहार पर विशेष ध्यान होना चाहिए. कुछ परिस्थितियों में यह पालतू जानवर जानलेवा भी साबित होते हैं.

स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग झारखंड के द्वारा 4 अक्टूबर तक विश्व रेबीज सप्ताह के तहत राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को जानलेवा रेबीज बीमारी से बचाव एवं टीकाकरण को लेकर जागरूक किया जा रहा है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कोडरमा जिला इकाई भी इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता निभा रही है.

रेबीज से बचाव ही एकमात्र है उपाय
आईएमए कोडरमा की पदाधिकारी डॉ. नम्रता प्रिया ने लोकल 18 से कहा कि रेबीज एक ऐसी बीमारी है जिसका बचाव ही एकमात्र उपाय है यदि एक बार किसी को रेबीज हो जाती है तो फिर उसका कोई इलाज नहीं है. वर्ल्ड सर्वे के आंकड़े के अनुसार रेबीज होने के बाद शत प्रतिशत मृत्यु दर भी रिकॉर्ड किया गया है.

इन जानवरों के काटने से होता है रेबीज
उन्होंने बताया कि आमतौर पर लोगों के बीच यह धारणा होती है कि रेबीज सिर्फ कुत्तों के काटने से होता है. जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. रेबीज, बिल्ली, बंदर, सियार, चूहा, गिलहरी, खरगोश, लोमड़ी और चमगादड़ के काटने या उनके पंजे की खरोच के बाद समय पर इलाज और टीकाकरण नहीं होने से फैलता है. रेबीज सीधे तौर पर इंसान के दिमाग और नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है. इसके प्रारंभिक लक्षण बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी होना, पानी से डर, व्यवहार में परिवर्तन, गले में खराश, दस्त आदि शामिल हैं.

डिटर्जेंट साबुन से धोने से 90% तक टलेगा खतरा
उन्होंने बताया कि कभी भी ऐसे पशु या जीव जिनसे रेबीज होता है. उनके काटने या खरोंच के बाद कम से कम 15-20 मिनट तक बहते हुए पानी में लगातार डिटर्जेंट साबुन से जख्म वाले स्थान को धोना चाहिए. ऐसा करने से जख्म वाले स्थान पर पशु के लार में मौजूद रेबीज के कीटाणु को प्रभावित इलाके से हटाकर रेबीज होने के खतरे को 90 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. इसके बाद नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सक से संपर्क कर रेबीज का वैक्सीन लेना चाहिए. पालतू जानवरों को पालने वाले लोगों को समय-समय पर पशु चिकित्सक से संपर्क कर अपने पालतू जानवरों का वैक्सीनेशन उनके व्यवहार में परिवर्तन एवं स्वास्थ्य की जांच करानी चाहिए.

Tags: Jharkhand news, Kodarma news, Latest hindi news, Local18

FIRST PUBLISHED : September 30, 2024, 11:52 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

Related posts

फ्रिज में रखी इस चीज को कर लें यूज, रूई जैसे मुलायम हो जाएंगे होंठ, जानें कैसे

nyaayaadmin

बच्चों को रोज इतनी देर से ज्यादा न दिखाएं फोन, वरना गड़बड़ा जाएंगे हॉर्मोन

nyaayaadmin

चैन से सोना है तो जाग जाइए… और अपनाएं ये जबरदस्‍त Sleep Hack

nyaayaadmin