Monkeypox and Smallpox: मंकीपॉक्स को लेकर हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किया है. यानी यह बीमारी दुनिया के खतरा है. फिलहाल यह बीमारी कांगो और उसके चारो तरफ वाले देशों बुरुंडी, केन्या, रवांडा में उत्पाद मचा रहा है लेकिन दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स के कुछेक मामले पाए गए हैं. मंकीपॉक्स के कुछ लक्षण स्मॉलपॉक्स (छोटी माता) में भी देखे जाते हैं.हालांकि दोनों में काफी अंतर भी है. इन दोनों बीमारियों के लिए पॉक्सविरेडी कुल के वायरस जिम्मेदार है.स्मॉल पॉक्स के लिए विरिओला वायरस जिम्मेदार है जबकि मंकीपॉक्स के लिए मंकीपॉक्स वायरस जिम्मेदार होते हैं.दोनों के लक्षण में
स्मॉलपॉक्स और मंकीपॉक्स के लक्षण में अंतर
स्मॉल पॉक्स में सामान्य रूप से तेज बुखार, बहुत अधिक थकान रहती है लेकिन चेहरे या स्किन के किसी भी हिस्से में चकते, दाने या फफोले की तरह निकल जाते हैं जिसमें पस भी भरा रहता है. यह दर्द भी करता है. कुछ मामलों में स्किन पर निकले दाने से जिंदगी भर के लिए दाग रह जाते हैं. इधर मंकीपॉक्स में भी बुखार रहता है. लेकिन इसमें सिर दर्द भी रहता है, वहीं शरीर में बहुत ऐंठन होती है जो स्मॉल पॉक्स में नहीं होता. इसके साथ इसमें पीठ दर्द और लिंफ नोड में सूजन भी होती है और ठंड महसूस होती है. मंकीपॉक्स में स्किन पर रैशेज की तरह नहीं बल्कि दाने या गांठ की तरह निकल आते हैं जो धीरे-धीरे बड़े होते जाते हैं. इसमें पस नहीं होता जबकि स्मॉलपॉक्स वाले रैशेज में पस होता है. मंकीपॉक्स में रैशेज चेहरे से फैलना शुरू होता है और पूरे शरीर में फैल जाता है. स्मॉलपॉक्स में बुखार बहुत तेज और अचानक आता है और उसी दिन स्किन में रैशेज भी निकल जाते हैं. ये देखने में लाल होते हैं.मंकीपॉक्स को ठीक होने में ज्यादा समय लगता है.
क्या है दोनों का इलाज
मंकीपॉक्स की कोई खास दवा नहीं है बल्कि इसके सपोर्टिव केयर करना जरूरी है. इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए, दर्द के लिए कुछ दवाइयां दी जाती है लेकिन अगर कुछ इंफेक्शन हो गया है तो इसके लिए अलग से दवाई दी जाती है. स्मॉलपॉक्स के लिए एंटीवायरल दवा टोकोविरिमैट दी जाती है लेकिन मंकीपॉक्स के कुछ मामलों में भी यह दवा दी जा सकती है लेकिन यह डॉक्टर तय करेंगे कि मरीज को कौन सी दवा की दरकार है. स्मॉलपॉक्स न हो, इसके लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है. पहले बड़ी माता बीमारी यानी बिग पॉक्स होती थी जो अब नहीं होती क्योंकि डब्ल्यूएचओ की मदद से वैक्सीन ने इस बीमारी को खत्म कर दिया. लेकिन स्मॉल पॉक्स अभी भी होती है और इसके लिए वैक्सीन उपलब्ध है. हालांकि इसे अधिकांश लोग नहीं लगवाते.
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FIRST PUBLISHED : September 25, 2024, 13:56 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें