What Are Kidney Function Tests: हम सभी जानते हैं कि किडनी शरीर के सबसे जरूरी ऑर्गन में शुमार होती है. शरीर में दो किडनी होती हैं और ये यूरिन सिस्टम का हिस्सा होती हैं. किडनी हमारे शरीर से वेस्ट प्रोडक्ट को यूरिन के जरिए निकालने का काम करती हैं. अगर किसी वजह से किडनी की फंक्शनिंग गड़बड़ा जाए, तो पूरे शरीर का सिस्टम हिल जाता है. अक्सर आपने किडनी के सबसे पॉपुलर टेस्ट किडनी फंक्शन टेस्ट के बारे में सुना होगा. क्या आप जानते हैं कि यह टेस्ट क्यों कराया जाता है. चलिए इन सवालों के जवाब एक्सपर्ट से जान लेते हैं.
नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अमरेंद्र पाठक ने News18 को बताया कि किडनी फंक्शन टेस्ट को आमतौर पर KFT या RFT की कहा जाता है. ये किडनी के टेस्ट होते हैं, जिसमें पता चलता है कि हमारी किडनी सही तरीके से काम कर रही हैं या नहीं. किडनी हमारे शरीर से वेस्ट प्रोडक्ट को साल्ट के फॉर्म में निकालने की काम करती हैं. किडनी फंक्शन टेस्ट में यूरिया, क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड, सोडियम, पोटेशियम जैसे साल्ट के सही लेवल का पता चलता है. इस टेस्ट के जरिए शरीर का इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस भी सामने आ जाता है.
डॉक्टर अमरेंद्र पाठक ने बताया कि जिन लोगों को यूरिन से जुड़ी कोई भी समस्या हो, उन्हें किडनी फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है. यह टेस्ट यूरिन या ब्लड के जरिए किया जा सकता है. जिन लोगों की उम्र 55 साल से ज्यादा हैं, उन्हें भी रेगुलर बॉडी चेकअप में किडनी फंक्शन टेस्ट करवाना चाहिए. इसके अलावा स्वस्थ लोगों को भी 2-3 साल में एक बार केएफटी जरूर कराना चाहिए. इससे किडनी की फंक्शनिंग का अंदाजा लगाया जाता है. अगर इस टेस्ट में चीजें गड़बड़ निकलें, तो यह किसी बीमारी का संकेत हो सकता है.
एक्सपर्ट की मानें तो इंसान के शरीर 2 किडनी होती हैं. इनमें से दो तिहाई किडनी रिजर्व रहती हैं. एक तिहाई किडनी से ही शरीर की फंक्शनिंग मेंटेन होती रहती है. हालांकि जब दो तिहाई किडनी काम करना बंद कर देती हैं, तब क्रिएटिनिन बढ़ जाता है. अगर ब्लड प्रेशर अनकंट्रोल रहता है, तो किडनी काम करना बंद कर देती हैं और इससे क्रिएटिनिन बढ़ जाता है. ऐसे में ट्रीटमेंट के जरिए क्रिएटिनिन को नॉर्मल करना पड़ता है. जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज की बीमारी होती है, उन्हें भी किडनी फंक्शन टेस्ट समय-समय पर कराने की सलाह दी जाती है.
यूरोलॉजिस्ट के अनुसार हमारी किडनी में सोडियम लेवल 130-140 के बीच होता है. जब यह इससे कम हो जाए, तो लोगों को चलने फिरने में भी दिक्कत होने लगती है. सोडियम लेवल कम होना गंभीर भी हो सकता है. ऐसे में हाई बीपी के जो मरीज नमक खाना बंद कर देते हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. इससे सोडियम लेवल गिर सकता है और गंभीर मामलों में मौत हो सकती है. इसके अलावा किडनी में पोटेशियम लेवल 3 से 5 के बीच होता है. अगर यह ज्यादा हो जाए, तो हार्ट रुक सकता है. कई बार जब लोग कुछ खाते-पीते नहीं है और लेटे रहते हैं, तब भी उन्हें केएफटी कराने की सलाह दी जाती है.
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Tags: Health, Kidney disease, Lifestyle, Trending news
FIRST PUBLISHED : July 3, 2024, 10:39 ISTNews18 India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें