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July 6, 2024
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कालीन भैया नहीं, मिर्जापुर की ये है असल कहानी, बाहुबलियों की दबंगई का रहा गवाह

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मिर्जापुर जिले में बाहुबल की एंट्री 90 के दशक में हुई. 1996 में मुलायम सिंह यादव ने डकैत फूलन देवी को टिकट देकर लोकसभा चुनाव में उतारा था. चुनाव में फूलन देवी को जीत भी मिली थी. आपको बता दें फूलन देवी ने चुनाव में एक नहीं बल्कि दो बार बीजेपी को शिकस्त दी थी.

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हालांकि, सांसद रहते हुए उनके आवास पर उनकी हत्या कर दी गई थी. फूलन देवी के बाद 2009 में डकैत ददुआ के भाई बाल कुमार पटेल गद्दी की जंग में उतरे. बाल कुमार पटेल भी सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर सदन पहुंचे.

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वरिष्ठ पत्रकार संजय दुबे ने कहा कि मिर्जापुर में गद्दी की सबसे चर्चित लड़ाई बाहुबली विजय मिश्रा और विनीत सिंह की रही है. 90 के दशक में शुरू हुई ये जंग 2016 में पहली बार जबरदस्त तरीके से देखने के मिली.

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एमएलसी के चुनाव में सपा ने बाहुबली विजय मिश्रा की पत्नी रामलली को चुनावी मैदान में उतारा. वहीं, विनीत सिंह के भाई त्रिभुवन नारायण सिंह मैदान में थे. इस चुनाव में बाहुबल के साथ-साथ हथियारों के इस्तेमाल के भी आरोप लगे थे. हालांकि चुनाव में रामलली मिश्र को जीत मिली थी.

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वरिष्ठ पत्रकार संजय दुबे ने बताया कि बीजेपी की सरकार बनने के बाद विजय मिश्रा का सूरज ढलने लगा जिसके बाद गद्दी पर विनीत सिंह काबिज हो गए. 2021 में विनीत सिंह ने एमएलसी के चुनाव में जीत दर्ज की. विनीत सिंह का कंट्रोल निर्धारण के साथ सोनभद्र पर भी हो गया जो की आज भी बरकरार है.

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वरिष्ठ पत्रकार संजय दूबे ने आगे बताया कि मिर्जापुर वेब सीरीज में जो कुछ भी दिखाया गया है हकीकत में ऐसा नहीं है, जिले में काफी शांति रहती है. यहां पर डकैत से लेकर बाहुबली चुनाव जीतकर गए, जहां उनका कंट्रोल रहा लेकिन क्राइम रेट न के बराबर है. आज भी मिर्जापुर बिल्कुल शांत शहर है.

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